लेखनी प्रतियोगिता -13-Feb-2023 झूठा वादा
शालीन अपने दोस्तों के साथ मथुरा की होली देखने जाता है। शालीन और उसके दोस्त दिल्ली से में रहते थे और एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।
एक दोस्त के देर से आने की वजह से उनकी रेल छूट जाती है। और वह फिर बस से मथुरा जाते हैं। इस वजह से वह देर रात को मथुरा पहुंचते हैं। उस रात उन्हें मथुरा में एक गेस्ट हाउस मे ठहरने की जगह मिल जाती है।
लेकिन जब वह मथुरा से वृंदावन जाते हैं, तो होली पर ज्यादा श्रद्धालु और पर्यटको की भीड़भाड़ की वजह से उन्हें कोई होटल या धर्मशाला नहीं मिलती है। होटल ना मिलने की वजह से वह उसी समय दिल्ली वापस जाने का फैसला करते हैं। शालीन आखिरी कोशिश करते हुए एक फूल बेचने वाली वृद्ध महिला से किसी होटल या धर्मशाला का पता पूछता है।
वृद्ध महिला कहती हैं कि "होटल और धर्मशाला का तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरा यही पास के गांव में एक छोटा सा घर है। आप लोग जब तक चाहो वहां रह सकते हो।"वृद्ध महिला की यह बात सुनकर तीनों दोस्त बहुत खुश हो जाते हैं क्योंकि उनको मथुरा वृंदावन की होली देखने की बहुत इच्छा थी।
उस वृद्ध महिला के पति का स्वर्गवास हो चुका था। उसकी तीन बेटियां थी। बड़ी बेटी का नाम मीनाक्षी था। मीनाक्षी की आयु 18 वर्ष कि थी। वह बहुत ही खूबसूरत युवती थी। उसकी बड़ी बड़ी आंखें थी लंबे घने बाल थे, रंग बदामी था।
शालीन मीनाक्षी को देखकर अपने मन में सोचता है कि जब तक हम तीनों यहां रहेंगे तब तक मीनाक्षी से नजरें मिलाकर अच्छा समय कटेगा। मीनाक्षी और मीनाक्षी की मां तीनों दोस्तों को रात का स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाती है।
तीनों दोस्त खाना खाने के बाद पैसे देते हैं, तो मीनाक्षी की मां कहती है कि "तुम तीनों मेरे बच्चों जैसे हो चार-पांच दिन के मेहमान हो और हम मेहमान से खाने किराए के पैसे नहीं लेते है।"
बसंती ऋतु का मौसम था। शालीन और उसके दोस्त छत पर खाना खाने के बाद चांदनी रात में बैठे हुए थे। उसी समय मीनाक्षी अपनी छोटी बहन के साथ छत पर तीनों दोस्तों के लिए गरम दूध लेकर आती है। चांदनी रात में मीनाक्षी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। शालीन जैसे ही मीनाक्षी से नजरें मिलाता है। मीनाक्षी शर्मा जाती है। लेकिन उस रात शालीन के हौसले बुलंद हो जाते हैं।
और वह दो-तीन दिन में ही सीधी-सादी मीनाक्षी को अपने प्यार के जाल में फंसा लेता है। और जिस दिन होली होती है उस दिन पूरा गांव होली खेलने में मस्त होता है। शालीन होली की मस्ती का फायदा उठाकर मीनाक्षी से शारीरिक संबंध यह कह कर बना लेता है कि वह अगले महीने अपने माता पिता के साथ उसके गांव आकर उसकी मां से अपना और उसकी शादी का रिश्ता पक्का कर देगा और अपनी पढ़ाई पूरी करके उससे शादी कर लेगा।
अपने दोस्तों के साथ वापस अपने घर जाने से पहले राधा कृष्ण की मूर्ति के सामने मीनाक्षी से शादी का झूठा वादा कर देता है।
और देखते-देखते 38 वर्ष बीत जाते हैं। शालीन मीनाक्षी और उसके साथ बिताए हुए समय को पूरी तरह भूल चुका था। और जब 60 वर्ष की आयु में जज के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अपनी पत्नी और बहू बेटो के साथ मथुरा वृंदावन होली देखने और राधा कृष्ण की पूजा करने जाता है।
तो अचानक शालीन को मीनाक्षी वृंदावन के बाजार में मिल जाती है। शालीन घरवालों से नजरें बचाकर मीनाक्षी को मंदिर के पीछे ले जाकर उसके हालचाल पूछता है? मीनाक्षी से यह सुनकर की उसकी और मीनाक्षी की एक बेटी है। और वह शादी के बाद दिल्ली में अपने पति के साथ रह रही है। और मीनाक्षी ने आज तक शादी नहीं की है। शालिनी उसी समय अपनी नजरों में गिर जाता है। फिर मीनाक्षी कहती है "तुम्हारे झूठे वायदे ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया
है। बिन बिहाई मां से कौन शादी करता है।"
और शालीन खड़े-खड़े अपने मन में सोचता है कि आज तक मैं सोचता था कि मैं अपने जीवन में एक सफल पुरुष हूं। मैंने अपना जीवन अच्छे संस्कार और आदर्शों के साथ जिया है। उसे उस दिन महसूस होता है जैसे उसका बुढ़ापा खराब हो गया हो।
60 वर्ष की आयु में उसे यह सीख भी मिलती है कि वादा शब्द लिखने में छोटा है। लेकिन वादा करके तोड़ने के बाद एक नहीं कई जीवन बर्बाद हो सकते हैं।
शालीन अपनी गलती का पश्चाताप करने के लिए अपनी बेटी और मीनाक्षी को अपना तो लेता है लेकिन समाज परिवार में उसका मान सम्मान इज्जत सब खत्म हो जाती है।
Alka jain
14-Feb-2023 12:29 PM
बेहतरीन
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अदिति झा
14-Feb-2023 12:45 AM
Nice 👍🏼
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Gunjan Kamal
13-Feb-2023 08:07 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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